Saturday, June 28, 2014

क्या खूब फेलाया है रंग मौसम ने अपना
लग रहा है जैसे जगते हुवे देख रहा हुं सपना
नम नम बुंदे देखो ऐसे बिखराई है
जैसे कोई अप्सरा अभी अभी नाह कर आई है
हलकी हलकी रोशनी ऐसे छायी है

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