Friday, June 20, 2014
अपनी
ज़िन्दगी में मुझे शरिख समझना
कोई गम आये तो करीब समझना
दे देंगे
मुस्कराहट आंसुओं के बदले
मगर हजारों दोस्तो में अज़ीज़ समझना
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment