Saturday, July 26, 2014

उसने दिन रात मुझको सताया इतना
कि नफरत भी हो गई और मोहब्बत भी हो गई.

उसने इस नजाकत से मेरे होठों को चूमा,
कि रोज़ा भी न टुटा और अफ्तारी भी हो गई.

उसने इस अहतराम से, मुझसे मोहब्बत की,
कि गुनाह भी न हुआ और इबादत भी हो गई.

मत पूछ उसके प्यार करने का अंदाज़ कैसा था...

उसने इस शिद्दत से मुझे, सीने से लगाया,
कि मौत भी न हुई और जन्नत भी मिल गई.

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