Tuesday, December 23, 2014

आ जरा ओ मेरे दिलबर, बात दो चार करें,
दो घड़ी ही सही आ प्यार सिर्फ़ प्यार करें ।

गिले शिकवों से कोई आज सरोकार न हो,
प्यार ही प्यार सिर्फ़ प्यार का इज़हार करें ।

कुछ पहल तुम भी करो, चन्द कदम हम भी बढें,
जिन्दगी भर न सही, सफ़र तो एक बार करें ।

किसने कितने हैं सहे जुल्मो सितम तो जानें,
आ मिलाकर जरा नज़रों से नज़र चार करें ।

जुड़ तो सकते वो नहीं ख्वाब जो अब टूट चुके,
कोई झूठा ही सही, ख्वाब सा साकार करें ।

क्या पता रूह में जज़्बात सा कुछ जिन्दा हो,
आ सवालात जरा रूह से इस बार करें ।

आ जरा ओ मेरे दिलबर बात दो चार करें,
दो घड़ी ही सही आ प्यार सिर्फ़ प्यार करें ।

--हरीशचन्द्र लोहमी 


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