Thursday, January 29, 2015

हर बार मुझे जख्म ए दिल ना दिया कर !
तू मेरी नहीं तो मुझे दिखाई ना दिया कर !!
सच-झूठ तेरी आँखों से हो जाता हैं जाहिर !
क़समें ना खा, इतनी सफाई ना दिया कर !!

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