बताओ दिल की बाजी में भला क्या बात गहरी थी
कहा यूं तो सभी कुछ ठीक था पर मात गहरी थी
कहा यूं तो सभी कुछ ठीक था पर मात गहरी थी
सुनो बारिश , कभी ख़ुद से भी भर
कर कोई देखा है
जवाब आया उन अशकों की मगर बरसात गहरी थी
जवाब आया उन अशकों की मगर बरसात गहरी थी
सुनो “पी” तुमने होले से कहा था क्या, बताओ गे ?
जवाब आया कहा तो था मगर वो बात गहरी थी
जवाब आया कहा तो था मगर वो बात गहरी थी
दिया दिल का सुमंदर उसने तुमने क्या किया उस का?
हमे बस डूब जाना था के वो सौगात गहरी थी
वफ़ा का दस्त कैसा था बताओ तुम पे क्या बीती
भटक जाना ही था हम को वहाँ पर रात गहरी थी
तुम उस के जिक्र पर क्योँ डूबे जाते हो ख्यालों में
रफक़त और अदावत अपनी उस के साथ गहरी थी
नज़र आया तुम्हे उस अजनबी में क्या, बताओ गे ?
सुनो कातिल निगाहों की वो जालिम घात गहरी थी
हमे बस डूब जाना था के वो सौगात गहरी थी
वफ़ा का दस्त कैसा था बताओ तुम पे क्या बीती
भटक जाना ही था हम को वहाँ पर रात गहरी थी
तुम उस के जिक्र पर क्योँ डूबे जाते हो ख्यालों में
रफक़त और अदावत अपनी उस के साथ गहरी थी
नज़र आया तुम्हे उस अजनबी में क्या, बताओ गे ?
सुनो कातिल निगाहों की वो जालिम घात गहरी थी
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