Thursday, January 22, 2015

बताओ दिल की बाजी में भला क्या बात गहरी थी
कहा यूं तो सभी कुछ ठीक था पर मात गहरी थी

सुनो बारिश , कभी ख़ुद से भी भर कर कोई देखा है
जवाब आया उन अशकों की मगर बरसात गहरी थी

सुनो पीतुमने होले से कहा था क्या, बताओ गे ?
जवाब आया कहा तो था मगर वो बात गहरी थी


दिया दिल का सुमंदर उसने तुमने क्या किया उस का?
हमे बस डूब जाना था के वो सौगात गहरी थी

वफ़ा का दस्त कैसा था बताओ तुम पे क्या बीती
भटक जाना ही था हम को वहाँ पर रात गहरी थी

तुम उस के जिक्र पर क्योँ डूबे जाते हो ख्यालों में
रफक़त और अदावत अपनी उस के साथ गहरी थी

नज़र आया तुम्हे उस अजनबी में क्या, बताओ गे ?
सुनो कातिल निगाहों की वो जालिम घात गहरी थी

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