Monday, January 5, 2015
आँसू भी थोड़ा ठहर कर सोचते है
हम तन्हाई मे ही क्यूँ निकलते है
दर्द-ऐ-हाल तो दिल का बयान करते है
फिर हम क्यूँ छुप छुप कर रोते है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment