Monday, March 23, 2015
बड़े नाज़ से सजाई है हमने
,
महफिल में तुम आओगे क्या
मिलने की खातिर दिल से मेरे
,
अपना दिल लाओगे क्या
कबसे तरस रही मेरी हसरते
,
हकीकत में बदल जाने को
ख्वाब से सजी इस जिंदगी को
,
हकीकत बनाओगे क्या
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