Saturday, March 14, 2015
रुखसारो पे है सुबह की लाली
,
ज़ुल्फो मे रात का अँधेरा है
आखो मे है वो गहराई जैसे किसी समुन्दर का नजारा है
खुशबु है तेरे आँचल की या है गुलाबो की महफिल
हर चीज़ मे तेरी यार कुदरत का कोई इशारा है
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