Wednesday, April 22, 2015

शरमा के इस तरह मेरी बाहों में आने की अदा ख़ूब है 
बेताब धडकनों को जुल्फों तले मिलाने की अदा ख़ूब है 
थर-थराते लबो से कुछ कहने की वो ना-काम कोशीशे
और गर्म सासों से हाल-ए-दिल सुनाने की अदा ख़ूब है

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