Sunday, April 12, 2015
उनके ख़याल में खोती थी सुबह शाम अपनी
कोई भी याद न बची लेकिन आज भुलाने को
बेवफाई के तुफाँ ने उडा दिया मयखाना मेरा
एक बूंद भी अब मिलती नही पिने पिलाने को
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