चराग अपने थकान की कोई सफ़ाई न दे
वो तीरगी है के अब
ख्वाब तक दिखाई ना दे
बहुत सताते हैं रिश्ते
जो टूट जाते हैं
खुदा किसी को भी
तौफीके -आशनाई ना दे
मैं सारी उम्र अंधेरों
में काट सकता हूँ
मेरे दीयों को मगर
रौशनी पराई ना दे
अगर यही तेरी दुनिया
का हाल है मालिक
तो मेरी क़ैद भली है
मुझे रिहाई ना दे
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