Saturday, May 2, 2015
मैंने दरिया से सीखी है
,
पानी की परदादारी
ऊपर-ऊपर हँसते रहना
,
गहराई में रो लेना
रोते क्यों हो
,
दिलवालों की तो क़िस्मत ऐसी होती है
सारी रात युँही जागोगे
,
दिन निकले तो सो लेना
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