Monday, May 11, 2015

कई बार रातों में उठकर दूध गरम कर लाती होगी
मुझे खिलाने की चिंता में खुद भूखी रह जाती होगी
मेरी तकलीफों में अम्मा, सारी रात जागती होगी !
बरसों मन्नत मांग गरीबों को, भोजन करवाती होंगी !

सुबह सबेरे बड़े जतन से वे मुझको नहलाती होंगी
नज़र न लग जाए, बेटे को काला तिलक, लगाती होंगी
चूड़ी ,कंगन और सहेली, उनको कहाँ लुभाती होंगी ?
बड़ी बड़ी आँखों की पलके,मुझको ही सहलाती होंगी !

सबसे सुंदर चेहरे वाली, घर में रौनक लाती होगी
अन्नपूर्णा अपने घर की ! सबको भोग लगाती होंगी
दूध मलीदा खिला के मुझको,स्वयं तृप्त हो जाती होंगी !
गोरे चेहरे वाली अम्मा ! रोज न्योछावर होती होंगी !

रात रात भर सो गीले में ,मुझको गले लगाती होगी
अपनी अंतिम बीमारी में ,मुझको लेकर चिंतित होंगीं
बच्चा कैसे जी पायेगा ,वे निश्चित ही रोई होंगी !
सबको प्यार बांटने वाली,अपना कष्ट छिपाती होंगी !

अपनी बीमारी में, चिंता सिर्फ लाडले ,की ही होगी !
गहन कष्ट में भी, वे ऑंखें मेरे कारण चिंतित होंगी !
अपने अंत समय में अम्मा ,मुझको गले लगाये होंगी !
मेरे नन्हें हाथ पकड़ कर ,फफक फफक कर रोई होंगी !

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