Friday, July 17, 2015
अब तेरी याद से आराम नहीं होता मुझ को
ज़ख्म खुलती हैं अज़ीयत नहीं होता मुझ को
अब कोई आये
–
चला जाये मैं खुश रहता हूँ
अब किसी की आदत नहीं होती मुझ को
ऐसा बदला हूँ तेरे शेहेर का पानी पी कर
झूट बोलों तो शिकायत नहीं होती मुझ को
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