Saturday, August 22, 2015

मेरी आंखो मे कोई सपना तो नहीं है
जो आज देखा ख्वाब अपना तो नहीं है

आंखे देखती हे खुशी जिनकी खातिर
वो मेरी आंखो का झुकना तो नहीं है

लगता हे सिमट रही हे जिंदगी मेरी
वो मेरी साँसो का रुकना तो नहीं है

जुबां खामोश हुई जा रही है
वो मेरी आत्मा का तड़पना तो नहीं है

जो दिखाई देते हे आँसू के मोती मुजकों
कही वो मेरे अपनों के तो नहीं है

मेरी आंखो मे कोई सपना तो नहीं है

जो आज देखा ख्वाब अपना तो नहीं है 

No comments:

Post a Comment