Saturday, September 19, 2015

न यादों में किसी के खोने की कशिश है,
न ख्वाबों में किसी को देखने की तपिश है,
न जाने ऐसे एहसास को किस नाम से पुकारें,
के भुलाना भी चाहें और याद करने की भी ख्वाहिश है।


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