घूँघट उठा ऐ अज़नबी, सूरत दिखा ज़रा
पर्दे की
ओट में न छिप, बाहर निकल
ज़रा
दिल के
सफ़र में कट गई रातें जगी हुई
मुद्दत हुए
सोया नहीं, लोरी सुना
ज़रा
बढ़ती हुई
ये धड़कनें, होती हुई
तेज साँस
पसीने-पसीने
हो गया, आंचल डुला
ज़रा
राहत
मिलेगी चंद पल तुझको निहारकर
तस्वीर के
मानिंद ही आँखों में आ ज़रा
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