Sunday, November 8, 2015

बरसात की भीगी रातों मै फिर कोई सुहानी याद आई,
कुछ अपना जमाना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई,
हम भूल चुके थे जिसने हमे दुनिया मै अकेला छोड़ दिया,
जब गौर किया तो एक सूरत जानी पहचानी याद आई.

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