Monday, December 21, 2015
ये तेरा ज़ुल्म है या तकदीर के सीतम है
कैसे तुम्हे बताए कितने उदास हम है.
तु
फान मे
घीरे है मिलते नही किनारे
जिनको समझा
था
अपना अब वही नही हमारे !
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment