Tuesday, December 29, 2015
कब तक छुपाओगे चेहरे को
ढक कर यूँ नकाब से
यूँ तो है खुशबू हर फूल में
वो बात कहाँ जो गुलाब में
माना के हो बहुत ही हसीन
नहीं कम किसी आफताब से
यकीन करो ना लगेगी नज़र मेरी
देखूंगा तुम्हे इस हिसाब से
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