Thursday, January 28, 2016
चेहरे पे अश्कों की लकीर बन गयी
जो न चाहा था वो तकदीर बन गयी
हमने तो चलाई थी रेत पर उँगली
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर बन गयी
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