Thursday, January 21, 2016

अल्लाह कसम मैंने तो सोचा भी नहीं था
वो इतना मेरे दिल को दुखायेंगे किसी रोज़
हर रोज आईने से ये ही पूछता हूँ मैं
क्या रुख पे तब्बस्सुम भी सजायेंगे किसी रोज़

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