काले काले वो गेसू शिकन दर शिकन,
वो तबस्सुम का आलम चमन दर चमन,
खेंच ली उन की तस्वीर दिल ने मेरे,
अब वो दामन बचा कर किधर जायेंगे.
- राज़ इलाहाबादी
वो तबस्सुम का आलम चमन दर चमन,
खेंच ली उन की तस्वीर दिल ने मेरे,
अब वो दामन बचा कर किधर जायेंगे.
- राज़ इलाहाबादी
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