Thursday, February 25, 2016

कुछ इश्क था कुछ मजबूरी थी सो मैं ने जीवन वार दिया,
मैं कैसा ज़िंदा आदमी था इक शख्स ने मुझ को मार दिया.
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ओबैदुल्लाह अलीम

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