Thursday, April 28, 2016
दास्तान अपनी मुहब्बतोँ की सुनाने वालोँ
फूल सहरा मे खिलाओ तो बात बनेँ
गुले ख़ुशबू कि तमन्ना तो करे हर कोई
कभी काँटोँ से भी निभाओ तो बात बने
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