Thursday, May 26, 2016

जानवर ही होते तो ग़म कैसा
हुए आदम गर तो करें फक्र कैसे !
ज़मीन बांटी, आसमाँ बांटा
ना कर ख़ुदा को अब दूर तुझसे !!

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