यूं तो हम ज़माने से कब किसी से डरते हैं
आदमी के मारे हैं, आदमी से डरते हैं
जब न होश था हमको, तब दुश्मनी से डरते थे
अब होश आया है तो, दोस्ती से डरते हैं
-खुमार बाराबंकवी
आदमी के मारे हैं, आदमी से डरते हैं
जब न होश था हमको, तब दुश्मनी से डरते थे
अब होश आया है तो, दोस्ती से डरते हैं
-खुमार बाराबंकवी
No comments:
Post a Comment