Saturday, June 25, 2016

साकी मेरे खुलूश की शिद्दत तो देखना,
फिर आ गया हूँ गर्दिशे-दौरां को टालकर।
अब्दुल हमीद 'अदम'
1.
खुलूश - मुहब्बत, प्यार 2.शिद्दत - प्रगाढ़ता
3.
गर्दिशे-दौरां - रोज-रोज के गम

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