Friday, June 17, 2016

आँखों को हो सके तो ज़रा अश्कबार रख
पेवस्ता रह शजर से उम्मीद-ए-बहार रख
काबा अगर नहीं तो इसे बुतकदा बना
दिल में खुदा की याद या तस्वीर-ए-यार रख

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