Wednesday, June 22, 2016

गो मय है तुन्दो-तल्ख पै साकी है दिलरूबा,
ऐ शैख बन पड़ेगी न कुछ हां कहे बगैर।
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ख्वाजा' हाली
मय - शराब
तुन्दो-तल्ख - तेज और कड़वी
शैख - पीर, गुरू, धर्माचार्य

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