Wednesday, June 8, 2016

मैं लडखडा रहा हूँ तुझे देख देख कर
तूने तो मेरे सामने एक जाम रख दिया
कितना सितम-ज़रीफ़ है वो साहिब-ए-ज़माल
उसने दिया जला के लब-ए-बाम रख दिया

No comments:

Post a Comment