Saturday, June 18, 2016

कफस से छूटकर पहुँचे न हम दीवारे-गुलशन तक,
रसाई आशियाँ तक किस तरह बेबालोपर होती।
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जलील मानिकपुरी
कफस - पिंजड़ा
रसाई - पहुँच
बेबालोपर - जिसके पास जीविका का कोई साधन न हो

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