Saturday, June 18, 2016

बती सांस को उभारा है, नब्ज गिरती हुई संभाली है,
मय को सागर में डालकर साकी,जान में तूने जान डाली है।
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नरेश कुमार 'शाद'
मय शराब
सागर - प्याला

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