Tuesday, June 21, 2016
क्या सरोकार अब किसी से मुझे
वास्ता था तो था तुझी से मुझे
मौत की आरज़ू भी कर के देखूँ
,
क्या उम्मीदें थी ज़िन्दगी से मुझे
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