ऐ निगहे-दिलफरेब, यह क्या सितम कर
दिया,
हौसले जब बढ़ गये, रब्त को कम कर दिया।
-'आर्जू' लखनवी
निगाहे-दिलफरेब - निगाहों को फरेब देने वाली माशूक
रब्त - लगाव, तअल्लुक, मेल-जोल
हौसले जब बढ़ गये, रब्त को कम कर दिया।
-'आर्जू' लखनवी
निगाहे-दिलफरेब - निगाहों को फरेब देने वाली माशूक
रब्त - लगाव, तअल्लुक, मेल-जोल
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