Monday, August 8, 2016

वो दूसरों से हँस हँस के मिलते रहे
मेरी ही बद-किस्मती अश्क बहाती रही
हम वफ़ा जिनसे करते रहे उम्र भर
हम पे उनकी जफ़ा मुस्कुराती रही

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