Wednesday, October 12, 2016
ये न थी हमारी किस्मत कि विसाल-ए-यार होता
,
अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता
|
-
मिर्ज़ा ग़ालिब
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment