Thursday, October 20, 2016

तेरा वस्ल ऐ मेरी दिलरुबा नहीं मेरी किस्मत तो क्या हुआ,
मेरी महजबीं यही कम है क्या तेरी हसरतों का तो साथ है |
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निदा फ़ाज़ली

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