Saturday, December 10, 2016

लबों की ये कलियाँ खिली-अधखिली सी
ये मख़मूर आँखें गुलाबी-गुलाबी
बदन का ये कुंदन सुनहरा-सुनहरा
ये कद है कि छूटी हुई माहताबी
हमेशा सलामत रहे या जवानी।

No comments:

Post a Comment