Wednesday, December 14, 2016

दिया बन के चला आया है वोह मेरी अँधेरी दुनिया में,
मेरे हर ग़म के दरवाज़े पे उसने हौले से आहट की है,
चाँद-सूरज की रौशनी भी फीकी है उसकी चमक के आगे,
अरसे से उदास पड़े चेहरे पे ऐसी खिलती मुस्कराहट दी है !!

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