Wednesday, February 22, 2017

मेरी ज़बां से मेरा ही अफ़साना बिखरा
ढ़ूँढ़ो कहां जाने ये दिल दीवाना बिखरानाकाम मै है इस से भी ग़ारत नहीं ग़मटूटा जो दिल ये मेरा तो मैखाना बिखराजो था खुदा वो कितना है मायूस देखोवो बिखरी मस्जिद ये बुतखाना बिखराकिस सिम्त जाऊं ले कर मै ग़म-ए-दिलबिखरा है हर अपना, हर बेगाना बिखरा

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