Wednesday, May 24, 2017

ए रात ठहर जा , मुझे जी भर के रो लेने दे,      
अपनी बदनशीबी पर मुझे कुछ आँसू बहा लेने दे।
वर्ना उजाले मे रोता देख दुनिया वाले कहेंगे ,
अगर बेवफा है तेरी दिलरुबा तो उसे भुला दे ,
इस तरह घुट-घुट कर , खुद को यू न सजा दे।
मान ले इस हक़ीक़त को और जा पूँछ उस से
क्यू की दिल्लगी , मुहब्बत का ढोंग क्यू रचाया।
जब ठुकराना ही था तो मुझे क्यू अपनाया
उस वक़्त मेरा ज़मीर मुझ से सवाल करेगा ,
क्या हुआ अगर उसने बेवफ़ाई की
उसकी अपनी जिंदगी है , चैन से उसे जीने दे ,
जो चाहती है वो तुझसे दूर रहना ,
उसे खुश रहने दे।

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