सोचता था कर नहीं पाया।
चैन से वह मर नहीं पाया।
जेब खाली उधारी बेइन्तेहा
देनदारी भर नहीं पाया।
महीनों से कुछ उदास उदास था
कुछ दिलासा पर नहीं पाया।
सालोंसाल भटकती उसकी ख्वाहिशें
एक का भी घर नहीं पाया।
पसीने से खून से जिसको गढ़ा
उस सड़क गुजर नहीं पाया।
भूख से रोते हुए कमजोर को
मेहनती नौकर नहीं पाया।
उम्रभर कपड़े फटे पहना रहा
मौत पर चादर नहीं पाया।
तोहमतें झूठी लगाते रहे सब
बेजुबान मुकर नहीं पाया।
चैन से वह मर नहीं पाया।
जेब खाली उधारी बेइन्तेहा
देनदारी भर नहीं पाया।
महीनों से कुछ उदास उदास था
कुछ दिलासा पर नहीं पाया।
सालोंसाल भटकती उसकी ख्वाहिशें
एक का भी घर नहीं पाया।
पसीने से खून से जिसको गढ़ा
उस सड़क गुजर नहीं पाया।
भूख से रोते हुए कमजोर को
मेहनती नौकर नहीं पाया।
उम्रभर कपड़े फटे पहना रहा
मौत पर चादर नहीं पाया।
तोहमतें झूठी लगाते रहे सब
बेजुबान मुकर नहीं पाया।
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