Thursday, July 20, 2017
मेरे जीने के लिये तेरा अरमान ही काफी है
,
दिल के क़लम से लिखी ये दास्तान ही काफी है
,
तीर-ए-तलवार की तुझे क्या ज़रूरते ए नज़नीन
,
क़त्ल करने के लिय तेरी मुस्कान है काफी है
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