Tuesday, August 15, 2017

मुहब्बत ऐसा नगमा है ज़रा भी झोल हो लय में
तो सुर कायम नहीं होता
मुहब्बत ऐसा शोला है हवा जैसी भी चलती हो
कभी मद्धम नहीं होता
मुहब्बत ऐसा रिश्ता है के जिसमे बंधने वालों के
दिलों में गम नहीं होता
मुहब्बत ऐसा पौधा है जो तब भी सब्ज़ रहता है
के जब मौसम नहीं होता
मुहब्बत ऐसा रस्ता है अगर पैरों में लर्जिश हो
तो ये महरम नहीं होता
मुहब्बत ऐसा दरिया है के बारिश रूठ भी जाये
तो पानी कम नहीं होता

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