Monday, August 28, 2017

खुदा का शुक्र है मेरे ख़त का जवाब तो आया।
जवाब के साथ उनका भेजा गुलाब तो आया।
जवाब के शुरुआत में ही उसने लिखा था,
चलो तुम्हें आँखें पढ़ने का हिसाब तो आया।
तुम्हारे ख़त से दिल को मेरे सुकून मिला बहुत,
आखिर तुम्हें अपने मिलन का ख्वाब तो आया।
प्यार के रस में डुबो कर लिखा था हर अल्फाज,
अब जा कर जिंदगी में प्यार का शैलाब तो आया।
हीर राँझा, लैला मजनू जितना सच्चा है प्यार अपना,
"
सुनिल" को सच्चे आशिक का ख़िताब तो आया।

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