Monday, October 30, 2017
एक अंश भी नहीं मेरा वो
जिस किरदार को तुमने मेरे नाम से पहचाना है,
मेरी हकीक़त है अंत का वो हिस्सा
जो पूरी किताब पढ़ बोहोत कम ने ही जाना है..
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment