Wednesday, November 25, 2020

 करो विस्वास तो एक आश हूँ 

वरना जिन्दा एक लाश हूँ 

मुकद्दर के खेल को कोई क्या करे 

जिन्दा रखने वाला एक साँस हूँ 

कभी तो अपने जमीर को भी जगा 

तुम्हें जगाने वाली एक प्यास हूँ 

बिना संगम की अगर तुम्हें मन नहीं 

तो झुमने वाला एक मीठा रास हूँ ........

#शायरियों का समंदर

No comments:

Post a Comment