तेरे माथे पे लगी
वो छोटी काली बिंदी,
चाँद पर लगी किसी
जरूरी दाग की तरह है ।
तेरी आंखों में लगा
काला गाढ़ा काजल,
तेरी आंखों को 'हाय'
और गहरा कर रहा है ।
तेरी कानों के झुमके संग
स्याह जुल्फों की जुगलबंदी
तुझे मुझ शायर की इक
खुबसूरत नज्म बना रहा है ।।
---- सुनिल #शांडिल्य
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